छोटी-छोटी चीजें करें। बिन्दू से बिन्दू मिलाए। एवरेस्ट पर चढ़ने वाले एक व्यक्ति से किसी ने पूछा "आप सबसे ऊँचें पर्वत एवरेस्ट पर कैसे चढ़ें?" उस व्यक्ति ने बताया- "बस एक कदम चढ़ा", "बस कदम" अपनी भौहों को चढ़ाते हुए उसने फिर पूछा "ऐसा कैसे हो सकता है।" , "जी हाँ, मैं एक बार में बस एक कदम ही चढ़ा और एक एक कदम चढ़ता रहा, लगातार, आप भी एक-एक कदम चलिए, एक कदम चलने पर आप कभी नहीं थकेंगे"-एवरेस्ट चढ़ने वाले व्यक्ति का उत्तर।
मैंने इस 'सिर्फ एक कदम' वाली लाइन का हमेशा उपयोग किया है और आज भी कर रहा हूँ। एक कदम चढ़ना कभी मुश्किल नहीं होता। आपने अरुणिमा सिन्हा का नाम सुना होगा जिसके पैर कटे होने के बावजूद 'सिर्फ एक कदम' निरन्तर चलने के हौसले से एवरेस्ट(सागरमाथा) पर भारत का झण्डा लहराया(वीडियो लिंक पोस्ट के अंत में है)
काम कितना भी कठिन हो और उसे करना भी जरूरी हो तो डरिए मत "सिर्फ एक कदम" चलिए लगातार। ना भूत के बारे में सोचिए ना भविष्य से डरिए "सिर्फ एक कदम" चलिए।
जब हम 'सिर्फ एक कदम' के बारे में सोचते हैं तो हमारा मस्तिष्क छोटे लक्ष्यों को आसानी से पूरा करता चला जाता है और आगे के कमदों के लिए प्रेरित करता रहता है।
अभ्यास के साथ-साथ आदत बदलने के लिए भी एक कदम का सिद्धांत बहुत उपयोगी है। आप किसी आदत को बदलना चाहते हैं या किसी आदत को अपनाना चाहतें हैं तो एक बार में 'सिर्फ एक कदम का चुनाव करें। बिन्दु से बिन्दु मिलाए, कदम से कदम, एक पन्ना एक बार में पढ़ें, एक पैरा एक बार में लिखें। पता ही नहीं चलेगा एक एक कदम करके हम कहाँ पहुंच गए, 'सिर्फ एक कदम' को याद रखें बार बार लगातार।
Great thought n Great way to achivment our goal
जवाब देंहटाएंOne step is very important on our life and this story appreciated in human being life
जवाब देंहटाएं