जैसे प्रकृति फूलों से सुन्दर लगती है वैसे ही जीवन सम्बन्धों से सुन्दर बनता है। सच्चे रिश्ते हमें भीतर से मजबूत बनाते हैं और हमारी आभासी शक्ति हमें कुछ भी करने को तत्पर रखती है। माँ के प्रेम का आभास जीवन की सबसे अद्भुत और प्राकृतिक आभासी शक्ति है। 'माँ' वह पहला कारण है जिससे हम हैं। माँ के भी कुछ स्वार्थ होते हैं पर वो सारे स्वार्थ अपने बच्चों के हितों में ही गुथें होते है। माँ अपने-आप को अपने बच्चों में देखती है। बच्चें जो करते हैं उसे स्वयं का किया समझती है क्योंकि हम उसी माँ के रचित रुप हैं। पिता हमारे जीवन के भौतिक श्रेष्ठता को ज्यादा श्रेष्ठ बनाते हैं, माँ मनुष्य के भीतरी गुणों को सौंदर्य प्रदान करने में लगी रहती हैं। हम माँ के गर्व के पर्याय है। आधुनिकता के साथ और बदलते जमाने को देखते हुए हम स्वयं को ज्यादा विकसित मस्तिष्क का मानने का भ्रम अक्सर रखते हैं पर माँ हमारे भावों को पहचानती है। वो तैयार होती है अनेकों त्याग के लिए, जिन सपनों को माँ ने हमें सजोंते हुए देखा था उनमें पूरे होते हैं कुछ नहीं भी पर वो अपनी खुशी बच्चों की इच्छाओं के लिए अक्सर त्यागती हुई पाई जाती है। कष्ट होता है कभी कहतीं है कभी नहीं भी.. पर आधुनिक जमाने के बच्चे उन बातों को कभी सुनते हैं कभी दकियानूसी ख्याल का ठप्पा लगाते हुए पाए जाते हैं। माँ बच्चों से डिमांड कम भाव ज्यादा चाहती है। प्रेम से थोड़ा पास बैठो अपने मन में जो भी है सच सच बता दो माँ सब स्वीकार कर लेती है। माँ अथाह सागर है नीलकण्ठ है। घर को सजोने के लिए पता नहीं कितने घड़ों विष उसने पीये होते हैं। भौतिक जगत में हम माँ को सही गलत ठहरा सकते हैं पर हम इसका जितना प्रयास करते हैं उतने खोखले होते चले जाते है और उस खोखले तने के ऊपर जितना भी हम आधुनिकता के नए-नए लेपन लगाते हैं किस्म-किस्म के.. वो चिक्कट-चिक्कट बनके उखड़ते चले जाते हैं और हम रंगीन होने के भ्रम मे और बदरंग हो जाते हैं। फिर भी माँ हमें समझाती है स्वीकारती है। हमारे निर्णयों को हमारे स्वार्थ के लिए सही गलत ठहरायें बिना हमें तन-मन-धन से शिखर पर देखने की आशा के सपने सजोंये हमें सम्भालती रहती है। जो भी अपनी माँ को गलत ठहराता है.. वो तुम्हारी माँ है तुम कह सकते हो पर जितनी बार भी तुम ऐसा कहते हो तुम्हारे भीतर का खोखलापन और ऊपरी चिक्कटपन और भी स्पष्ट रुप से छलकने लगता है। माँ 'माँ' होती है। माँ को कभी सही-गलत के मानसिक तराजू पर रखकर विचार न करें, शब्द न बोलें। माँ को दिल की बात बताए समाधान मिल जाएगा।
माँ को दिल की बात बताए समाधान मिल जाएगा।माँ को दिल की बात बताए समाधान मिल जाएगा।
बार बार हर बार माँ को दिल की बात बताए समाधान मिल जाएगा।
और अब अन्त में..माँ के लिए दो शब्द..
माँ अब मैं आपको देख नहीं पाता पर बातें ज्यादा करता हूँ.. सच में........।
अंत की एक लाइन ने पोस्ट को एकदम जीवंत और सजीव बना दिया... मम्मी अब मै आपको देख नहीं पाता पर बातें 24घंटे करता हूँ!हमेशा लगता है कि आप हरदम मेरे आसपास ही हैं👌😢
जवाब देंहटाएंसही बात है भईया 🙏
हटाएंमाँ एक शब्द नही बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है एक एहसास है जिससे कोई क्षण भर के लिए भी विरत नही हो सकता ।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा पवन भईया 🙏
हटाएंमाँ, यह शब्द ही अपने आप में सब कुछ है, इसके लिए सारी उपमाएं छोटी हैं......
जवाब देंहटाएंबहुत बढियाँ लिखा भाई जी👌👌
बहुत बहुत धन्यवाद श्याम भईया
हटाएंBahut sunder mishra jiii
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद 💐
हटाएंबहुत सुंदर शब्दो में माता का प्रेम वयक्त किया है।
जवाब देंहटाएंपढ़ने के लिए धन्यवाद सचिन भईया💐
हटाएंशानदार शुरूआत
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ब्रजेश भईया🙏
हटाएंजज्बातों को बहुत खूबसूरती से पिरोया है आपने
जवाब देंहटाएंशुभकामनाये
धन्यवाद भईया 💐🙏
हटाएंअदभुत रचना...🙏🙏
जवाब देंहटाएंआभार🙏
हटाएंसुंदर रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
हटाएंमा तो बच्चे के सारे कस्टो को हर घड़ी अपने साथ ले लेती है,मा, में ममता, प्रेम, दया, हर्ष अपने लिए नहीं अपने लाल के लिए सब कुछ जो अब हम जान नहीं सकते
जवाब देंहटाएंप्रणाम करता हूं उन सभी माताओं को
अतुलनीय प्रेम
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