(2020 ई. में 'प्रतिसमुत्पाद' को अपनाकर भविष्य की नींव डालें)
महात्मा बुद्ध के समस्त ज्ञान का निचोंड यदि एक शब्द में देना हो तो वह शब्द है "प्रतिसमुत्पाद", इसका अर्थ है 'एक लहर का आना ही दूसरी लहर के आने का कारण होता है अर्थात हमारे पूर्व की, की गई एक क्रिया अभी जीवन में चल रही घटनाओं का कारण है और हम जो अभी कर रहें हैं वो हमारी भविष्य में घटने वाली घटनाओं का कारण होगा। अभी पर ध्यान दें आप अभी क्या कर रहे है, भूत-भविष्य को भूल जाए, वर्तमान अर्थात अभी जो कर रहे हैं उस पर ध्यान बनाए रखें। वर्तमान को सुधारें, भूत-भविष्य इतिहास-पुराण सब सुधर जाएगा। वर्तमान को सुधारतें समय बहुत-सी व्याधियाँ होगी जो मानसिक-या-शारिरीक रूप में भी हो सकती हैं इन व्याधियों की जड़ पर वार करने से पहले इनकी टहनियों फिर शाखाओं और अन्त में जब तना बच जाए तो व्याधियों को जड़-मूल से समाप्त करें फिर इन्हें उगने का अवसर ना दें जहाँ इन व्याधियों की जड़ थी वहीं आग जलाए और जब भी ये निकलने को आतुर हो उससे पहले या तुरन्त, आग जला कर तापते रहें। कुछ बड़ा करने के साथ-साथ निरन्तर व्याधियों पर वार करते रहें, व्याधियों को पनपने का अवसर ना दें। समय-कुसमय यदि व्याधियाँ आपको चारों तरफ से घेर लेती हों तो मस्तिष्क शान्त रखें और अवसर पाते ही इन व्याधियों पर घना वार करें। कोई रहम नहीं।
प्रतिसमुत्पाद के अर्थ को समझे आप जो अब तक करते आ रहें हैं वहीं आप आज भी करेंगे तो आप कल वहीं रहेंगे जो आज हैं अत: यदि आप भविष्य को उज्ज्वल बनाना चाहते हैं तो आज उसकी नींव डालें।
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