स्वमं को स्वीकारें..


स्वयं को स्वीकारें..

हम हमेशा खुद को बेहतर बनाने की चाह रखते हैं। और अपने से बेहतर और बड़ें लोगों को देख कर खुद को हीन या कम आकतें हैं। यदि आप खुद को छोटा, हीन, कमजोर, कम पढ़ा-लिखा या कम कमाने वाला  समझते हों तो यहीं रुक जाएं। सारे काम छोड़ कर पहले खुद को दूसरों से तुलना करने से रोकें। खुद को स्वीकारें। एक बार दूबारा "खुद को स्वीकारें"।

      आप जो भी हों, जैसें भी हों, जहाँ भी हों, जितने भी कमाते हों, जितने भी पढ़ें लिखें हो.. जो भी.. जो भी.. सारे काम छोड़ कर सबसे पहला काम करें "अपने आप पर खुशी मनाए"। खुद को बदलने के लिए बहुत उतावले न हो। जब आप खुद को स्वीकारेंगे तभी आपके बेहतर बनने का रास्ता आसान होगा। वर्ना आप हमेशा डरें, सहमें, खुद को समाज से उपेक्षित मानते रहेंगे। आप जैसे भी हों अपने-आप के होने पर गर्व करें। आप दुनिया में अपने आप के होने का गर्व करें।

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