खुद पर शासन

#कठोरता_सबसे_आसान_है_..
हमारे भीतर दो तरह के इंसान जीते हैं। एक दानव और एक मानव। दानव और मानव में बहुत अन्तर नहीं है और आप किसी को देख के दानव-मानव निश्चित भी नहीं कर सकते। ये छोटी छोटी आदतों के फर्क, व्यवहार और संस्कार से आते हैं। हम अक्सर सोचते या पूछते हैं कि हम ये क्यों करते हैं, ये क्यों नहीं करते हैं या इसके करने से क्या फायदा है जैसे- सूर्योदय🌄 से पहले उठना,  रात को जल्दी सोना, रोज नहाना, पूजा-पाठ करना,  ध्यान या व्यायाम🏋🚴💯💪 करना, योजना📝 बनाना, इत्यादि (जो हमारे मन में आते रहते हैं)। कुछ चीजें हम करते हैं तो सोचते हैं कि इससे नुकसान क्या है जैसे- सोशलमीडिया से चिपके रहना, शौखिया झूठ बोलना, बेवजह की बहस में उलझना, गन्दी जबान और गालियाँ देना। आप गाली देने वाले को सुनो तो ऐसा लगता है जैसे वो अपनी ही चीज को गन्दा करने के लिए दूसरों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से प्रोत्साहित करता है। मेरेे कुछ दोस्त ऐसे हैं जिन्हें मैं सिगरेट पीने से मना करता हूँ तो वे तमाम तर्क देते हैं या दिनचर्या सुधारने को किसी से कहिए,  बोलेंगे इससे क्या फर्क पड़ता है; पर पड़ता है मेरे दोस्त; इससे मनोवृत्ति में परिवर्तन आता है और मनोवृत्ति ही इंसान की प्रकृति को दर्शाती है। अब इनमें से कुछ कहेंगे "मुझे दानव ही रहने दो, मुझे नहीं जाना स्वर्ग में, तुम ही जाओ और भोगों अप्सराओं को"। अब उनको कौन समझाए कि स्वर्ग-नर्क ऊपर नहीं होता,  सब यही है। बात ये है 👉 जैसे ही हम अपनी आदतों में सही दिशा में छोटे-छोटे बदलाव करने लगते हैं हमारे मनोवृत्ति में छोटे-छोटे परिवर्तन होने लगते हैं। मनोवृत्ति का परिवर्तन द्वारा ही स्थिति-परिस्थिती और सफलता-असफलता का माहौल तैयार होता है। आप जब थोड़ी सी भी फुरसत में होते हैं तो आपके मन में कुछ विचार चलते रहते हैं जो आपको किसी ना किसी कार्य को करने के लिए विचार देते हैं। हमारा मन ही दोनों भूमिकाओं को निभाता है। एक विचार आया, उस विचार की पुष्टि हमारे मनोवृत्तियों पर निर्भर होती हैं। यही से हमारा भविष्य निर्धारित होता है। हमारे मन में आने वाले अनेकानेक विचारों में से हम किन विचारों को पुष्टि देते हैं और किन्हें नहीं, यह हम पर निर्भर है पर हमें खुद के लिए कठोर होना पड़ेगा, ये भी एक आदत है यदि आपने खुद के लिए कठोर होना सीख लिया तो आपके लिए यह कठोरता उन महान लक्ष्यों तक पहुँचायेगी जिसकी कल्पना आप सितारों के लिए करते हैं।

#प्रकाशवाणी_2

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