बेरोजगारी

जब कोई व्यक्ति कार्य करने में सक्षम हो और उसे कार्य करने की इच्छा भी हो और उसके ऊपर घर परिवार की जिम्मेदारी भी हो या भलें ही कोई जिम्मेदारी ना हो; उसे स्वयं के जीवन-यापन के लिए किसी कार्य की आवश्यकता हो जिससे कि वह अपने खर्च के साथ-साथ परिवार का भी खर्च चला सके इस स्थिति में भी उसे कार्य न मिले तो उसे बेरोजगार कहेंगे??

जी नहीं! 

उसे निकम्मा कहेंगे। 

क्योंकि..

    आज की इक्कीसवीं सदी के युग में कोई कह ही नहीं सकता कि उसके पास कार्य नहीं है। जो नई चुनौतियाँ लेने से डरते हैं, बुजदिल हैं, आलसी हैं, कामचोर हैं; उनके लिए ना कोई कार्य है, न था और ना होगा। ऐसे लोग जो सदैव दूसरे पर ही निर्भर रहते हैं उनकी भी जिन्दगी सुअरों की भांति कट ही जाती है। हाँ जिस दिन उन्हें अपने आपसे घृणा हो जाएगी और वे अपने शरीर पर से हरामखोरी का नकाब उतार कर फेंक दे और कूद पड़ें कर्मभूमि में तो उनके लिए कार्य ही कार्य है। प्रत्येक व्यक्ति को शिखर पर चढ़ने के लिए सिर्फ एक कदम की आवश्यकता होती है आपका कदम जिस दिन बढ़ना शुरू हो जाएगा आपकी मंजिल आपके करीब आती जाएगी। हाँ, ऐसा भी हो सकता है कि आपकी कोई मंजिल ही ना हो तब तो आप जहाँ हैं, जैसे हैं, वहीं ठीक हैं। कहीं आपने पैर आगे बढ़ाया और मोच आ जाए तो! तो आप डरते रहिए।

(एक पुरानी पोस्ट)
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