आनन्द (Make your flavour)


"जिन्दगी हर कदम इक नया आनन्द है
जीत जायेंगे हम ये अगर संग हैय।।" -2
 आप सबको इस गाने के फिल्मी बोल पता हैं फिर भी मैं लिख रहा हूँ, फिल्मी बोल
"जिन्दगी हर कदम इक नई जंग है"
   यह एक गीत है, अब चलिए इस गीत को उठाने के मुद्दे पर आते हैं, हम जो सुनते हैं वहीं परिणाम रुप में हमें मिलता है क्योंकि यदि हम इस गीत के 'जंग' को सच मान लेते हैं तो यह अपना प्रभाव हम पर छोड़ता है, हम जितनी गहराई से इसे स्वीकारतें है कि 'जिन्दगी हर कदम इक नई जंग है' तो वैसे ही हमारें जीवन में 'जंग' रहती है। इस गीत में मैं अपने लिए एक परिवर्तन किया है 'जंग' की जगह पर "आनन्द" कर दिया है..
पढिए-
"जिन्दगी हर कदम इक नया आनन्द है"
जीत जायेंगे हम ये अगर संग हैयय।।
जिन्दगी हर कदम इक नया आनन्द है
जिन्दगी हर कदम इक नया आनन्द है
(गाते रहिए)
प्रश्न है- कि 'क्यों'? जंग को आनन्द करने की क्यों जरुरत है?? तर्क दे सकते हैं.. जीवन में कहीं जंग कहीं आनन्द है जीवन तो दुख-सुख का समागम है।"
      जी हाँ, बात आपकी बात बिल्कुल सही है। यह हमारे चुनाव पर निर्भर करता है कि हमें जीवन में क्या चाहिए। यह 'जंग' चाहिए तो जंग वाला गीत गाइए और यदि जीवन में "आनन्द" चाहिए तो आनन्द वाला गीत गाइए।
अब प्रश्न है- गीत गाने से क्या होगा??
गीत गाने से हमारा मस्तिष्क गीत के अनुसार काम करता है।
प्रश्न- गीत सुनके मस्तिष्क कैसे काम करेंगा?
हम जो गीत सुनते हैं, बार बार सुनते हैं तो उस गीत की बातें हमारे अवचेतन मस्तिष्क(subconscious mind) में जाती रहती हैं, वो वैसा ही प्रभाव छोड़ती है  जैसा हम सुनते हैं, ये हमें पता नहीं चलता। यह एक प्राकृतिक क्रिया है कि हम जो भी पढ़ते लिखतें बोलते या कहते हैं, झूठ कहें या सच; यह हमारे मस्तिष्क में संग्रहित होता रहता है और यह प्राकृतिक रुप से संग्रहित हुई चीजें ही यहाँ से निकलती है। हम कहतें हैं "भगवान आप मेरे साथ ही ऐसा क्यों कर रहे हो"? तो यहाँ यह जानना जरुरी है कि जो भी हमने अबतक सुना बोला कहा या पढ़ा है वह हमें अपनेआप स्वतः ही मिल रहा है। वापस गीत पर चलते हैं जिन्दगी हर कदम इक नई जंग है जब हम इसे बार बार गाते या सुनते हैं तो प्राकृतिक क्रिया यानी अवचेतन मन हमारे जीवन की परिस्थितियों की वैसी ही रचना करता है। यह सच है कि वास्तविक जीवन में अनेकों चुनौतियाँ, धोखेबाजी, संघर्ष हो सकते हैं जिन्हें हम "जंग" कहते हैं। यहाँ सच्चाई को ना झूठलाते हुए जीवन को देखने का नजरिया "चुना"(selection) जा रहा है। हमारे जीवन में जो भी चल रहा है उन सभी परिस्थितियों के बीच हम "आनन्द" को चुन रहें हैं
और हमेशा यह गीत गा रहें हैं..
"जिन्दगी हर कदम इक नया आनन्द है"
जिन्दगी हर कदम इक नया आनन्द है..
   गीत के शब्द हमारे सोचने के तरीकों को दिशा देते हैं और हमारी दिशा ही हमें निर्धारित करती हैं कि हम क्या है?

https://youtu.be/Jrbs1X8a-bM

टिप्पणियाँ

  1. ये भी कह सकते हैं कि पहले ही यदि जंग मान लें तो फिर जो भी झेलना पड़े उसके लिए तैयार रहए हैं । जो नेगेटिव मिलेगा उसके लिए तो हम तैयार हैं ही जो पॉजिटिव मिलेगा वो तो डबल बोनस है । और यदि पहले ही जिंदगी तो फूलों की सेज मने और कांटे मिलें तो कष्ट ज्यादा होता है और उम्मीदें टूटती हैं सो अलग ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. भईया आपकी बात सही है, हमारी हमारी सोच को दिशा देता है, दुख या सुख- ज्यादा भ्रम और थोड़ी वास्तविकता है और इसी ज्यादा भ्रम के लिए जंग या आनन्द में से एक को चुनना बेहतर होता है।🙏

      हटाएं

एक टिप्पणी भेजें