युक्त वैराग्य

 


युक्त_वैराग्य
आम इन्सान के लिए यह बहुत कारगर और उपयोगी जीवन पद्धति है जिससे जीवन को भरपूर जिया जाए, भरपूर आनन्द लेते हुए.. बिना किसी दुख-द्वेष के.. बिना किसी भय के..
यानी स्वमं को बस माध्यम मानना.. ना कि कर्ता..
युुक्त का अर्थ - माध्यम हूँ इसलिए जुड़ा हूँ
वैराग्य का अर्थ -कर्ता नहीं हूँ, इसलिए वैरागी हूँ

मैं.. मैं.. मैं.. की रट छोड़ के सबके लिए जीवन जीना.. और जब हम सबके लिए जी रहें होते हैं तो स्वमं को जी रहे होते हैं..

भौतिक संसार का आनन्द लेने के साथ भी व्यर्थ के मोह में और लोभ में ना पड़ता।

यह याद रखना कि मैं किराए का शरीर ले के आया हूँ जो यहाँ आज या कल छोड़ के जाना है इसलिए आज को अपना आखिरी दिन समझ कर जीना.. कल की कुछ उधारी-बाकी ना रखना।

सत्य को जानने वाले गृहस्थ जीवन में निर्लिप्तता से बचने के लिए युक्त वैराग्य को जीवन की चाभी बताते हैं।

युक्त वैराग्य का अर्थ है- जीवन में रहते हुए सांसारिकता से निर्लिप्तता।
युक्त वैराग्य स्वतंत्रता का प्रतीक है।

कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन । मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ।।

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बढ़िया, इसलिए तो गृहस्थ आश्रम को वनस्थ आश्रम से भी उत्तम माना गया हैं क्योंकि काजल की कोठरी में रहकर काजल ना लगें ऐसा ही करके दिखाना पड़ता है जिसके बचाव का पथ केवल मात्र अध्यात्म से होकर ही जाता हैं।

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  2. बहुत ही सूंदर विश्लेषण आपकी पोस्ट पर कुछ पंक्तिया मुझे भी याद आ गयी
    ये जीवन है इस जीवन का यही है यही है रंगरूप

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    1. वाल लोकेन्द्र भाई बहुत खूब गीत याद दिलाया आपने😀😀👍

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  3. बहुत ही अच्छा है गूढ़ वैराग्य की बाते हर किसी को समझ में नहीं आती है
    मैं कुछ हलकी फुलकी बातों को ही समझ पाता हूँ
    निर्लिप्त भाव से जीवन जीना जब आ जायेगा तो ............................. सब शून्य हो जायेगा

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    1. आप ही की संगत में ये सब ज्ञान प्राप्त हुआ है 😀🙏

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  4. बहुत ही अच्छा है गूढ़ वैराग्य की बाते हर किसी को समझ में नहीं आती है
    मैं कुछ हलकी फुलकी बातों को ही समझ पाता हूँ
    निर्लिप्त भाव से जीवन जीना जब आ जायेगा तो ............................. सब शून्य हो जायेगा

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